भाई, इस समय के तकनीकी विकास और विज्ञापन की दुनिया में एक अजीब सी गड़बड़ी नजर आ रही है। विदेशों में ड्राइवरलेस कारों की वीडियो वायरल हो रही हैं, दिमाग में चिप लगाने की खबरें चर्चा में हैं, और रोबोटों के आने से यह भी उम्मीद जताई जा रही है कि वे हमारे कई काम कर सकते हैं। लेकिन भारत में अभी भी तेल के विज्ञापन वायरल हो रहे हैं। खासकर आदिवासी हेयर ऑयल के प्रचार ने तो एक नई बहस छेड़ दी है।
हमारे देश में बेरोजगारी, बढ़ती कीमतें, और महंगाई जैसी समस्याएं आम हैं, लेकिन इन सबसे ज्यादा लोग आदिवासी हेयर ऑयल के विज्ञापन से परेशान हैं। यह तेल ऐसे प्रोमोट किया जा रहा है जैसे यह किसी जादुई औषधि की तरह काम करता है। यूट्यूब पर देखा जाता है कि कैसे आदिवासी लोग जिनके लंबे-लंबे बाल हैं, उन्हें इस तेल के इस्तेमाल से ही अपनी खूबसूरती का दावा करते हैं। लेकिन ये लोग गंजे लोगों की ख्वाहिशों को और बढ़ावा दे रहे हैं, जैसे कि उनकी परेशानी को दूर कर देंगे।
इंटरनेट की बढ़ती पहुंच ने हमें यह दिखा दिया है कि कैसे कंपनियां अनपढ़ता और गरीबी का लाभ उठाकर अपने प्रोडक्ट्स को बढ़ावा देती हैं। आदिवासी हेयर ऑयल बेचने वाले लोग भी इसी रणनीति का पालन कर रहे हैं। वे अपने उत्पाद के साथ एक 'संपथी कार्ड' जोड़ते हैं, जैसे कि उनकी गरीबी और अनपढ़ता उनके प्रोडक्ट की गुणवत्ता को प्रमाणित करता है।
इन कंपनियों ने अपनी वेबसाइट पर कई तरह के ऑप्शंस दिए हैं, लेकिन यह दिखाने के लिए कि वे अनपढ़ हैं, वे प्रीपेड ऑप्शन नहीं देते, ताकि जीएसटी और टैक्स की उलझन से बचा जा सके। ये कंपनियां अपने प्रोडक्ट्स को "आयुर्वेदिक" कहकर बेचती हैं, लेकिन उनके लेबल पर कोई भी प्रामाणिक जानकारी नहीं होती।
जब इंटरनेट पर इतनी सारी सूचनाएं उपलब्ध हैं, तो यह समझना मुश्किल नहीं होना चाहिए कि आदिवासी हेयर ऑयल की क्या वास्तविक स्थिति है। इस तेल के लेबल पर न तो इंग्रेडिएंट्स की जानकारी होती है और न ही किसी प्रकार की सर्टिफिकेशन होती है। बावजूद इसके, कंपनियां इसे इतना बड़ा प्रचार देती हैं कि लोगों को लगता है कि यह जादुई तेल है।
किसी भी प्रॉडक्ट पर सही सर्टिफिकेशन होना चाहिए, लेकिन यहां तो आदिवासी हेयर ऑयल पर केवल 'आयुर्वेदिक' लिखकर और कुछ लंबे बालों की तस्वीरें लगाकर लोगों को ठगा जा रहा है। इसके अलावा, जो भी चित्र विज्ञापन में इस्तेमाल किए जा रहे हैं, वे भी गूगल से लिए गए होते हैं और वास्तविकता से मेल नहीं खाते।
विज्ञापन के इस दौर में, यह दिखाया जा रहा है कि सलमान खान, अक्षय कुमार और रणबीर कपूर जैसे सितारे इस तेल के उपयोग से बालों को फिर से घना बना सकते हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि जिन लोगों ने इस तेल को प्रमोट किया, वे खुद ही बाल ट्रांसप्लांट करवाते हैं। तेल को पेन रिलीफ की तरह बेचा जा रहा है, जबकि इसकी कोई सच्चाई नहीं है।
आजकल के विज्ञापन इतने प्रभावशाली होते हैं कि लोग किसी भी प्रॉडक्ट को देखकर विश्वास कर लेते हैं। आदिवासी हेयर ऑयल को लेकर दावा किया जा रहा है कि यह तेल डैंड्रफ, सफेद बाल, और बालों की अन्य समस्याओं को सुलझा देगा। लेकिन ये सभी दावे निराधार हैं। डैंड्रफ एक प्रकार की फंगस होती है, जो ऑयल से बढ़ती है, इसलिए इसे तेल से ठीक करना असंभव है।
विज्ञापन में दिखाए गए बालों की वृद्धि की तस्वीरें भी वास्तविकता से मेल नहीं खातीं। बहुत से लोग जो पहले गंजे थे, उन्होंने इस तेल के इस्तेमाल से बालों की वृद्धि का दावा किया, लेकिन वास्तव में उनके बाल कम हो गए हैं। तेल का असर केवल एक सीमित दायरे में होता है और यह समस्या का समाधान नहीं है।
अच्छा स्वास्थ्य, सही खानपान, और नियमित जीवनशैली अधिक महत्वपूर्ण हैं। केवल तेल का उपयोग करके बालों की समस्याओं को हल नहीं किया जा सकता। बालों के विकास के लिए शरीर की अंदरूनी स्वास्थ्य समस्याओं को भी ठीक करना जरूरी है।
अंततः, जब आप कोई प्रोडक्ट खरीदें, तो उसकी प्रमाणिकता और सर्टिफिकेशन की जांच जरूर करें। आदिवासी हेयर ऑयल की तरह के उत्पादों में जो दावा किए जा रहे हैं, वे अक्सर झूठे और अवास्तविक होते हैं। अपने स्वास्थ्य के साथ समझौता न करें, और केवल प्रमाणित और सर्टिफाइड प्रोडक्ट्स ही खरीदें।
आपके बाल और स्वास्थ्य आपके लिए महत्वपूर्ण हैं, इसलिए उन उत्पादों से बचें जो वास्तविकता से दूर और विज्ञापन के फूहड़ दावों पर आधारित होते हैं।