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क्या आप बच पाए हैं इस इनकम टैक्स (Income Tax) के मायाजाल से?

24 Jul 2024 2k+ Views
क्या आप बच पाए हैं इस इनकम टैक्स (Income Tax) के मायाजाल से?

क्या आप अंदाजा लगा सकते हैं की हमारे देश में कितने लोग इनकम टैक्स देते हैं तो इसका जवाब है कुल 1.6%. अब बताओ कि हमारी सरकार कहाँ-कहाँ से टैक्स कलेक्ट करती है, तो भैया टोटल कलेक्ट किए गए टैक्स का 27% हिस्सा तो डायरेक्ट इनकम टैक्स के रूप में ले लिया जाता है, मतलब अगर सरकार हमसे 100 रूपये टैक्स के रूप में कमा रही है तो उसमे से 27 रुपए तो सीधा इनकम टैक्स से कमा रही है| यानी इस 27% टैक्स का हिस्सा मात्र 1.6%  लोग पे कर रहे हैं और इन 1.6% लोगों में भी ज्यादातर हमारे आपके जैसे मिडिल क्लास इनकम ग्रुप सैलेरी पर्सन हैं|क्या यह थोड़ा अजीब नहीं लगता है की इतना सारा भार इतनी छोटी सी पापुलेशन पर|

बहुत से लोगों को यह लगता है 1.6 % के अलावा बाकी बचे लोग टैक्स पे नहीं करते हैं लेकिन इसका मेन कारण है हमारे देश की एग्रीकल्चर पापुलेशन जो कि लगभग 50% है और हमारे देश में कानून के हिसाब से एग्रीकल्चर से होने वाली इनकम पर कोई टैक्स नहीं लगता है इसलिए ज्यादातर इंडियन टैक्स फाइल नहीं करते हैं| अब यहां पर यह बात पॉलिटिकल हो जाती है लेकिन आज हम यहां पॉलिटिक्स से ऊपर उठकर इससे जुड़े कुछ नंबर्स, डाटा और फैक्ट्स के बारे में बात करने की कोशिश करेंगे| क्योंकि इंडिया में किसानों को कोई टैक्स नहीं देना होता है तो बहुत से लोगों को लगता होगा कि इससे सभी किसानों को फायदा होता होगा पर ऐसा बिल्कुल नहीं है इसका पूरा-पूरा फायदा मिलता है रिच फार्मर्स को और फार्मिंग कम्पनियों को| एक रिपोर्ट के अनुसार अगर गवर्नमेंट टॉप की 0.04% फार्मर्स और एग्रीकल्चर कम्पनियों पर इनकम टैक्स लगना शुरू कर दे तो सरकार को लगभग 50000 करोड रुपए अतिरिक्त टैक्स के रूप में मिलेंगे जिससे मिडिल क्लास पापुलेशन को बहुत बड़ी राहत मिलने की उम्मीद की जा सकती है| तो आपको क्या लगता है जो बहुत ही रिच फार्मर्स है जो खेती से करोड़ों में कमाते हैं क्या उन्हें टैक्स भरना चाहिए?

इसके बाद कॉरपोरेट टैक्स के ऊपर बात करना भी जरूरी है क्योंकि किसी भी देश के डेवलपमेंट में कॉरपोरेट सेक्टर का बहुत बड़ा योगदान होता है| हमारे देश में जो कॉर्पोरेट टैक्स लगता है वह बाकी कुछ देशों जैसे यूएई, सिंगापुर आदि से कहीं ज्यादा लगता है इसीलिए हमारे देश के ज्यादातर बिजनेस/कम्पनिया इन देशों में शिफ्ट होती जा रही है जिसका सीधा असर हम लोगों पर भी पड़ेगा| अभी की अगर बात करें तो हमारे देश में लगभग 25 से 30% कॉरपोरेट टैक्स लगता है और इसके ऊपर सेस भी लगभग 7% तक चले जाते हैं तो दोनों को मिलाकर यह काफी ज्यादा हो जाता है जबकि सिंगापुर में कॉरपोरेट टैक्स की दर है 17% और यूएई में 9%| और हाँ, अगर कोई बाहर की कंपनी इंडिया में अपना सेटअप लगाती है तो उनके ऊपर कॉरपोरेट टैक्स 40% है तो ऐसी स्थिति में बाहर से कंपनियां हमारे देश में जल्दी से आने को तैयार ही नहीं होंगी| उल्टा इतने हैवी टैक्स को बचाने के लिए इंडियन कंपनियां ही दुबई या सिंगापुर शिफ्ट होती जा रही है| एक डाटा तो यह भी कहता है कि दुबई में टॉप 100 स्टार्टअप्स में से 30 के फाउंडर इंडियन है| और अगर आने वाले टाइम में इस तरह के टैक्स में कमी नहीं आई तो सिंगापुर, यूएई जैसे देश इसका पूरा-पूरा फायदा उठाएंगे|  

अब अगला नंबर आता है एक और सेक्टर का जो हैवी टैक्स की मार झेल रहा है वह है "शेयर मार्केट इन्वेस्टमेंट"| इस सेक्टर में टैक्स के खेल को समझने की कोशिश करते हैं साल 2004 में फाइनेंस मिनिस्टर ने लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट गेन (LTEG) टैक्स को हटाकर STT (Securities Transaction Tax) को लागू किया इसके बाद साल 2018 में उस समय के फाइनेंस मिनिस्टर ने लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट गैन टैक्स को फिर से लागू कर दिया तो यहां आप लोगों को लग रहा होगा की फिर तो एसटीटी को हटा दिया गया होगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ| तो इसका मतलब हुआ कि आज आप इस सेक्टर में दोनों टैक्स पे कर रहे हो| इसके अलावा एक इन्वेस्टर एक्सचेंज ट्रांजैक्शन चार्जेस, जीएसटी, सेबी चार्ज, स्टांप ड्यूटी आदि अलग से भरता है और समय-समय पर यह चार्ज बढ़ते ही जा रहे हैं जबकि यह काम होने चाहिए| 

तो यह तो बात हुई डायरेक्ट टैक्स की अब बात करते हैं इनडायरेक्ट टैक्स की, मतलब वह पैसा जो आपसे डायरेक्ट टैक्स के रूप में नहीं वसूल किया जा रहा है तो इसमें कौन-कौन टैक्स आते हैं- जीएसटी, रजिस्ट्रेशन चार्जेस, ग्रीन टैक्स, लग्जरी टैक्स, टोल टैक्स आदि| मतलब आप जो भी चीज खरीद रहे हो उसके ऊपर कुछ हिस्सा आप टैक्स के रूप में भी सरकार को दे रहे हो जिसे इनडायरेक्ट टैक्स कहा जाएगा| आज लगभग हर चीज जीएसटी के दायरे में है पर क्या आप जानते हैं एक ऐसी चीज भी है जिसको कोई भी सरकार चाहे केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार जीएसटी के अंदर नहीं लाना चाहती है वह है पेट्रोल और डीजल| क्योंकि अगर पेट्रोल और डीजल जीएसटी के अंदर आ जाते हैं तो यह महंगे नहीं सस्ते हो जाएंगे और सरकार को टैक्स के रूप में होने वाली कमाई में कमी हो जाएगी|  

हमारा मकसद आपको डरना या गुमराह करना बिल्कुल नहीं है हमारी बस इतनी सी कोशिश है कि आप चीजों को सही से समझे और सरकार से वह चाहे किसी की भी हो यह सवाल कर सके कि हमारे दिए गए टैक्स के बदले हमें क्या मिल रहा है| और कुछ लोग आपको ऐसे भी मिलेंगे जो आपको टैक्स में हेरा फेरी करने की भी सलाह देंगे जिससे आप सरकार से कुछ पैसे की चोरी कर सकें तो यह बिल्कुल गलत है, ऐसा बिल्कुल नहीं करना चाहिए इससे आप भविष्य में किसी बड़ी मुसीबत में पड़ सकते हैं| आपने देखा होगा कि जब हम इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते हैं तो हम सरकार को अपने द्वारा दिए गए टैक्स और अपनी इनकम की डिक्लेरेशन देते हैं क्या आपको नहीं लगता कि इसके बदले में हमें जो भी मिल रहा है उस पर हमें सवाल करने चाहिए? 

तो लास्ट में बस इतना ही कहना चाहेंगे कि यदि आपको लगता है कि आप इनकम टैक्स नहीं दे रहे हो और आप इस टैक्स के मायाजाल से बाहर हो तो आप भ्रम में हो क्योंकि आजकल हर कोई डायरेक्ट नहीं तो इनडायरेक्ट तरीके से टैक्स तो दे ही रहा है| और प्लीज इस आर्टिकल को पॉलिटिकल तो बिल्कुल ही ना समझे अगर अच्छा लगे तो अपने दोस्तों के साथ भी साझा करें| धन्यवाद !