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क्या आप भी कभी हुए हैं "DIGITAL ARREST "!

23 Aug 2024 2k+ Views
क्या आप भी कभी हुए हैं "DIGITAL ARREST "!

इन दिनों साइबर ठगों ने लोगों को फंसाने के लिए एक नया तरीका अपनाया है जिसे 'डिजिटल अरेस्ट' कहा जाता है। इस तरीके में ठग लोगों को ब्लैकमेल करने और डराने-धमकाने का खेल खेलते हैं, जिससे लोग उनके जाल में फंस जाते हैं। ठग आमतौर पर पुलिस, सीबीआई, या आबकारी अधिकारियों की पहचान में फोन करके लोगों को धमकाते हैं और उन्हें घर पर बंधक बना लेते हैं। यह प्रक्रिया इस प्रकार से काम करती है: 

ठग पहले लोगों को फोन करके यह बताते हैं कि उनके आधार कार्ड, सिम कार्ड, बैंक खाता आदि का उपयोग किसी अवैध गतिविधि के लिए किया गया है। इसके बाद, वे डराने-धमकाने का खेल शुरू करते हैं और ठगी का लक्ष्य पूरा करते हैं। ठग अक्सर वीडियो कॉल पर अपनी तस्वीर के पीछे के दृश्य को पुलिस स्टेशन की तरह दिखाते हैं, जिससे पीड़ित डर जाता है और उनकी बातों में आ जाता है। फिर ठग जमानत की बात कहकर पैसे की मांग करते हैं। वे व्यक्ति को वीडियो कॉल पर बने रहने के लिए मजबूर करते हैं और किसी से भी संपर्क करने की अनुमति नहीं देते।

हाल ही में नोएडा में एक महिला का मामला सामने आया, जिसमें एक अंतरराष्ट्रीय कूरियर कंपनी के कर्मचारी ने उन्हें फोन करके बताया कि उनके नाम से भेजे गए पार्सल में नशीला पदार्थ मिला है। महिला ने जब इस पार्सल के बारे में अनभिज्ञता जाहिर की, तो ठग ने कहा कि वह इसकी शिकायत मुंबई साइबर अपराध शाखा में दर्ज करा रहा है। इसके बाद महिला को एक वीडियो कॉल आई जिसमें पुलिस स्टेशन की तरह का दृश्य था। पुलिस अधिकारी बनकर बात कर रहे व्यक्ति ने महिला को रातभर जगाए रखा और उसे डरा-धमकाकर 5.20 लाख रुपये अलग-अलग खातों में जमा करवा लिए। महिला को 24 घंटे से अधिक समय तक 'डिजिटल अरेस्ट' में रखा गया।

बंगलुरु में हाल ही में एक 29 वर्षीय महिला वकील ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें बताया कि एक व्यक्ति ने उसे दो दिनों तक डिजिटल रूप से गिरफ्तार रखा। उस व्यक्ति ने खुद को एक अंतरराष्ट्रीय कूरियर कंपनी का अधिकारी बताया और महिला से 14.57 लाख रुपये ठग लिए। इसके अलावा, मादक पदार्थ परीक्षण के बहाने उसने उसे नग्न होकर कैमरे के सामने खड़े होने को कहा और फिर धमकी दी कि यदि उसने 10 लाख रुपये नहीं दिए तो वह वीडियो सार्वजनिक कर देंगे।

फरीदाबाद की एक 23 वर्षीय महिला को भी ठगों ने सीमा शुल्क अधिकारी बनकर 11 लाख रुपये की ठगी कर ली। ठगों ने महिला को गिरफ्तारी का डर दिखाकर लगभग आठ घंटे तक 'डिजिटल अरेस्ट' में रखा।

जयपुर में एक महिला बैंक मैनेजर को भी साइबर ठग का फोन आया, जिसने खुद को दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण का अधिकारी बताकर कहा कि आपके आधार कार्ड पर ली गई सिम का उपयोग अवैध कार्यों के लिए किया जा रहा है। इसी बीच एक अन्य व्यक्ति ने फोन करके खुद को मुंबई पुलिस का अधिकारी बताया और गिरफ्तारी से बचने के लिए वीडियो कॉल पर आने को कहा। मैनेजर को करीब पांच घंटे तक 'डिजिटल अरेस्ट' में रखा गया और डर के मारे उसने अपनी एफडी तोड़कर 17 लाख रुपये ठग द्वारा बताए गए खाते में डाल दिए।

इन घटनाओं के बाद भी लोग साइबर ठगों के जाल में फंस रहे हैं। ये ठग इतने शातिर होते हैं कि लोगों पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव डालकर उन्हें अपने तरीके से बहलाते-फुसलाते हैं। इसके बावजूद, सरकार भी इस समस्या पर नियंत्रण पाने के लिए कदम उठा रही है। हाल ही में सरकार ने तेजी से बढ़ रही 'डिजिटल अरेस्ट' और ब्लैकमेलिंग की घटनाओं के खिलाफ एक हजार 'स्काइप' खातों को प्रतिबंधित किया है। फिर भी, ऐसी घटनाएं कम नहीं हो रही हैं।

भारतीय रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, वित्तवर्ष 2022-2023 में देश में 30,000 करोड़ रुपये से अधिक की बैंक धोखाधड़ी की शिकायतें दर्ज की गई हैं। पिछले एक दशक में, 1 जून 2014 से लेकर 31 मार्च 2023 तक भारतीय बैंकों में 65,017 ठगी के मामले सामने आए हैं, जिनमें 4.69 लाख करोड़ रुपये की ठगी की गई है। अब 'डिजिटल अरेस्ट' भी साइबर अपराधियों का एक नया हथियार बन चुका है।

इन साइबर ठगों की चालाकियों से बचने के लिए हमें सावधान रहना चाहिए। किसी भी जांच एजेंसी या पुलिस द्वारा फोन करके धमकी देने की संभावना बहुत कम होती है। सभी जांच एजेंसियों और पुलिसकर्मियों के पास कानूनी प्रक्रियाओं के तहत ही कार्रवाई होती है। अगर कोई व्यक्ति धमकी भरे फोन या वीडियो कॉल का शिकार हो जाए, तो तुरंत स्थानीय पुलिस को सूचित करना चाहिए या 'राष्ट्रीय साइबर अपराध सहायता सेवा' (1930) पर शिकायत करनी चाहिए। इसके अलावा, सोशल मीडिया साइट 'एक्स' पर भी 'साइबर पोस्ट' के माध्यम से शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। किसी भी संदिग्ध संदेश या ई-मेल को सबूत के तौर पर पुलिस को देना चाहिए।

अगर किसी धमकी भरे वीडियो कॉल का शिकार हो गए हैं, तो स्क्रीन रिकॉर्डिंग के माध्यम से वीडियो कॉल को रिकॉर्ड करके शिकायत करनी चाहिए। डरने या पैसे भेजने की बजाय, किसी भी झांसे का सामना करते समय तुरंत उस नंबर को ब्लॉक कर देना चाहिए। अगर कोई संदेह हो तो पुलिस विभाग की वेबसाइट पर जाकर जानकारी प्राप्त की जा सकती है और प्राथमिकी की धमकी देने वाले को नजरअंदाज करना चाहिए। अपनी निजी जानकारियां जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड, या बैंकिंग विवरण किसी के साथ साझा न करें। कोई भी बैंक या सरकारी संस्था कभी भी पिन, ओटीपी आदि की जानकारी नहीं मांगती है।

अपनी सोशल मीडिया और बैंक अकाउंट के पासवर्ड समय-समय पर बदलते रहना चाहिए ताकि साइबर ठगी से बचा जा सके।